Hindi Suvichar
Hindi Suvichar
जो नसीब मे है वो चलकर आयेगा जो नही है वो आकर भी चला जायेगा, जिंदगी को इतना सीरियस लेने की जरूरत नही है दोस्तो यहाँ से जिंदा बचकर कोई नही जायेगा एक सच है की अगर जिंदगी इतनी अच्छी होती तो हम इस दुनिया मे रोते रोते ना आते लेकिन एक मीठा सच ये भी है अगर ये जिंदगी बुरी होती तो हम जाते जाते लोगो को रुलाकर ना जाते जी ले आज कल किसने देखा हैं ।
सच्चाई और अच्छाई की तलाश में चाहे पुरी दुनिया घूम लो अगर वह खुद में नहीं तो कही भी नहीं..
जैसे-जैसे समय गुजरता है हमें खुद महसूस होने लगता है कि मम्मी पापा सही कहा करते थे "दुनिया बड़ी मतलबी है.."
जो बाहर की सुनता है, वो बिखर जाता है, जो भीतर की सुनता है, वो संवर जाता है।
गुस्सा अकेला आता है, मगर हमसे सारी अच्छाई ले जाता है सब्र भी अकेला आता है, मगर हमें सारी अच्छाई दे जाता है ।
एक बार अर्जुन ने श्री कृष्णा से कहा :- इस दीवार पर कुछ ऐसा लिखो कि, खुशी में पढूं तो दुख हो और दुख में पढूं तो खुशी हो.. प्रभु ने लिखा "ये वक्त गुजर जाऐगा.. ना जाने कौनसी शोहरत पर आदमी को नाज है जो खुद आखिरी सफर के लिए भी औरों का मोहताज है..
ना जाने कौनसी शोहरत पर आदमी को नाज है जो खुद आखिरी सफर के लिए भी औरों का मोहताज है..
क्रोधी व्यक्ति अपने क्रोध से सबसे अधिक स्वयं को नष्ट करता है ।
जिंदगी आसान नहीं होती, इसे आसान बनाना पड़ता है.. कुछ 'अंदाज' से, कुछ 'नजरअंदाज' से "
अपने रब के फैसले पर भला शक कैसे करूँ सजा दे रहा है अगर वो, कुछ तो गुनाह रहा होगा..
इंसान को बोलना सीखने में दो साल लग जाते हैं लेकिन क्या बोलना है यह सीखने में पूरी ज़िन्दगी निकल जाती है..
किसी की अर्थी यात्रा में जाओ तो ये मत समझना कि आप उसे उसकी मंजिल पर ले जा रहे हैं बल्कि ये समझना कि अर्थी पर लेटा हुआ इंसान तुम्हें तुम्हारी मंजिल दिखाने ले जा रहा है..
ये चन्द पंक्तियाँ जिसने भी लिखी है खूब लिखी है गलतियों से जुदा तू भी नही, मैं भी नही, दोनो इंसान हैं, खुद तू भी नही, मैं भी नही ! तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर, अपने अंदर झाँकता तू भी नही, मैं भी नहीं " ग़लत फ़हमियों ने कर दी दोनो मैं पैदा दूरियाँ, वरना बुरा तू भी नही, मैं भी नही!!
शब्द भी एक तरह का भोजन है, किस समय कौनसा शब्द परोसना है वो आ जाये तो दुनिया मे उससे बढ़िया रसोइया कोई नही है। शब्द का भी अपना एक स्वाद है, बोलने से पहले स्वयं चख लीजिये। अगर खुद को अच्छा नही लगे तो दूसरों को कैसे अच्छा लगेगा।
बात इतनी मधुर रखो कि कभी वापस लेनी पड़े तो खुद को कड़वी न लगे..
रामायण मे दी ऐसे व्यक्ति थे एक विभीषण और एक कैकेयी विभीषण रावण के राज में रहता था फिर भी नही बिगड़ा कैकेयी राम के राज रहती थी, फिर भी नही सुधरी !! सुधरना एवं बिगडना केवल मनुष्य के सोच और स्वभाव पर निर्भर करता है माहौल पर नहीं ।
मन के जिस दरवाजे से शक अंदर प्रवेश करता है, प्यार और विश्वास उसी दरवाजे से बाहर निकल जाते हैं..
जिंदगी का कड़वा सच इंसान जब बड़ा बन जाता है तो उन लोगों को ही छोटा समझने लगता है जिन्होंने मिलकर उसे बुलंदियों पर पहुंचाया है।
क्षमा गलतियों की होती है, धोखे की नहीं..
किसी की नियत जाननी हो तो सिर्फ इतना पूछो- क्या मेरी मदद करोगे?
'आंसू जता देते है, "दर्द" कैसा है? "बेरूखी' बता देती है, 'हमदर्द" कैसा है? "घमण्ड" बता देता है, "पैसा" कितना है? "संस्कार" बता देते है, "परिवार" कैसा है? "बोली" बता देती है, "इंसान" कैसा है? "बहस" बता देती है, "ज्ञान" कैसा है? "ठोकर" बता देती है, "ध्यान" कैसा है? "नजरें" बता देती है, "सूरत" कैसी है? "स्पर्श" बता देता है, "नीयत" कैसी है? और "वक़्त" बता देता है, "रिश्ता" कैसा है!
सबसे बड़ा गुरु ठोकर है, लगते ही सीखते जाओगे।
कसूर तो बहुत किये है ज़िन्दगी में पर सज़ा वहाँ मिली जहाँ बेकसूर थे ..
जैसी मोहब्बत तुम अपने माँ-बाप से करोगे वैसी ही मोहब्बत तुम्हारी औलाद तुमसे करेगी..
कभी तुम्हारे मां-बाप तुम्हे डाट दे तो बुरा न मानना बल्कि सोचना - गलती होने पर माँ-बाप नहीं डांटेंगे तो और कौन डाटेंगे.. और कभी छोटों से कोई गलती हो जाये तो यह सोचकर उन्हें माफ कर देना कि गलतियाँ छोटे नहीं करेगें तो और कौन करेगा।
माता पिता की नसीहत सबको बुरी लगती है, मगर माता पिता की वसीहत सबको अच्छी लगती है..
जब एक ही JOKE पर दोबारा नहीं हंसते, तो एक ही दुख पर भी दोबारा परेशान नहीं होना चाहिए।
समय और समझ दोनों एक साथ खुशकिस्मत लोगों को ही मिलते हैं क्योंकि अक्सर समय पर समझ नहीं आती और समझ आने पर समय निकल जाता है..
सारी उम्र तो किसी ने, जीने की वजह तक नहीं पूछी, लेकिन मौत वाले दिन.. सब ने पूछा कि कैसे मरा..
वक्त बीत जाए तो लोग भुला देते है बेवजह लोग अपनों को भी रुला देते है जो दिया रात भर रौशनी देता है सुबह होते ही लोग उसे भी बुझा देते है..
एक सच छुपा होता है जब कोई कहता है । "मजाक था यार" एक फीलिंग छुपी होती है जब कोई कहता है "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता । एक दर्द छुपा होता है जब कोई कहता है "LTS OK" एक जरूरत छुपी होती है जब कोई कहता है "मुझे अकेला छोड़ दो" एक गहरी बात छुपी होती है जब कोई कहता है । "पता नहीं' बातों का समंदर छुपा होता है जब कोई "खामोश रहता है" इसीलिए एक ओपन हार्ट सर्जरी की यूनिट के बाहर लिखा था कि.. "अगर दिल खोल लेते अपने यारों के साथ तो आज नहीं खोलना पड़ता औजारों के साथ " ॥
तेरे अपने ही तुझको जलाएंगे तीन दिन रोयेंगे फिर खुशी मनाएंगे
एक मुर्दे ने क्या खूब कहा है.. ये जो मेरी मौत पर रो रहे है, अभी उठ जाऊं तो जीने नहीं देंगे..
किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा है; जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.. आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे.. कोई तौफा ना मिला आज तक.. और आज फुल-हि-फुल दिये जा रहे थे.. तरस गये थे हम किसी एक हाथ के लिये.. और आज कंधे पे कंधे दिये जा रहे थे.. दो कदम साथ चलने को तैयार न था कोई.. और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे.. आज पता चला मुझे कि "मौत कितनी हसिन होती है.. कम्बख्त..'हम तो युहि 'जिंदगी' जिये जा रहे थे..
बिना किताबो के जो पढाई सीखी जाती है उसे "जिन्दगी" कहते है..
अगर किसी की इज़्ज़त ना करना है तो मत करो लेकिन चार लोगों के साथ बैठ के किसी की बेज्जती तो मत करो..
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला..! जो भी मिलता है समझा के चला जाता है।
कुछ लोग तो आपसे सिर्फ इसलिए भी नफरत करते है.. क्योंकि बहुत सारे लोग आपकी इज्जत करते हैं
ये एक कटु सत्य है टीचर ने बोर्ड पर लिखा: 9×1=9 9×2=18 9X3=27 9×4=36 9X5=45 9×6=54 9X7=63 9X8=72 9×9=81 9×10=89* लिखने के बाद बच्चों को देखा तो बच्चे शिक्षक पर हंस रहे थे, क्योंकि आखिरी लाइन गलत थी। फिर शिक्षक ने कहा: मैंने आखिरी लाइन किसी उद्देश्य से गलत लिखी है क्यूंकि मैं तुम सभी को कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सिखाना चाहता हूं। • दुनिया तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी..! तुम देख सकते हो कि मैंने ऊपर 9 बार सही लिखा है पर किसी ने भी मेरी तारीफ नहीं की.. पर मेरी सिर्फ एक ही गलती पर तुम लोग हंसे और " क्रिटिसाइज भी किया। तो यही नसीहत है : दुनिया कभी भी आपके लाख अच्छे कार्यों को APPRECIATE नहीं करेगी, परन्तु आपके द्वारा की गई एक गलती को CRITICIZE जरूर करेगी।
कुदरत का एक उसूल है जो बांटोगे वही वही तुम्हारे पास बेहिसाब होगा, फिर वो दौलत हो, इज्जत हो, नफ़रत हो या मोहब्बत..